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➨ जस्टिस दलवीर भंडारी अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीश निर्वाचित


➨ जस्टिस दलवीर भंडारी अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीश निर्वाचित

भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में बड़ी जीत हासिल कर ली है । इसके साथ ही वो दूसरी बार अतंराष्ट्रीय अदालत के जज बन गए हैं । भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था । दलवीर भंडारी को जनरल एसेंबली में 183 मत मिले, जबकि सिक्योरिटी काउंसिल में जस्टिस भंडारी को 15 मत मिले हैं । आईसीजे की आखिरी सीट के लिए मतदान 20 नवंबर की रात (भारतीय समयानुसार) को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में आयोजित किया गया । वर्ष 1945 में स्थापित आईसीजे में ऐसा पहली बार हुआ जब इसमें कोई ब्रिटिश न्यायाधीश नहीं होगा 

Dalveer Bhandari re-elected to International Court of Justice (ICJ)

जानें उनके बारे में कुछ जरूरी बातें

1.     दलवीर भंडारी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधिश भी थे. उनका जन्म वर्ष 1 अक्टूबर 1947 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था

2.     दलवीर भंडारी के पिता और दादा राजस्थान बार एसोसिएशन के सदस्य थे. जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की

3.     वर्ष 1991 में भंडारी वह दिल्ली गए और यहां वकालत करने लगे. अक्टूबर 2005 में वो मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने

4.     दलवीर भंडारी ने 19 जून 2012 को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी. वो सुप्रीम कोर्ट में भी वरिष्ठ न्यायमूर्ति रहे हैं.

5.     दलवीर भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस  में जाने से पहले भारत में विभिन्न अदालतों में 20 वर्ष से अधिक समय तक उच्च पदों पर रह चुके हैं

6.     पहले के 11 दौर के चुनाव में भंडारी को महासभा के करीब दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिला, लेकिन सुरक्षा परिषद में वे ग्रीनवुड के मुकाबले तीन मतों से पीछे थे.

7.     12वें दौर का चुनाव आज होना था और इस चुनाव से पहले ही ब्रिटेन ने अपने कदम खींच लिए.

8.     भंडारी की जीत भारत के लिहाज से बेहतरीन है, क्योंकि पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का मामला भी अंतर्राष्ट्रीय अदालत में है.

9.     माना जाता है कि ब्रिटेन को डर था कि कहीं भारत ने दो तिहाई मत हासिल कर लिए तो सुरक्षा परिषद के लिए भारत के प्रत्याशी को आईसीजे में निर्वाचित होने से रोकना बहुत मुश्किल होगा

10.भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर भारत का दबदबा कायम कर दिया है.

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